सच ये है बेकार हमे गम होता है -२
जो चाहा था दुनिया मै कम होता है
सच ये है बेकार हमे गम होता है
ढल्ता सुरज फैला जंगल रस्ता गुम -२
हमसे पूछो कैसा आलम होता है -२
गैरों को कब फ़ुर्सत है दुख देने की
जब होता है कोइ हमदम होता है
सच ये है बेकार हमें गम होता है
ज़ख्म तो हमने इन आँखों से देखे हैं -२
लोगों से सुनते हैं मरहम होता है -२
ज़हन कि शाख्होण पर अश_आर आ जाते हैन -२
जब तेरि यादोण का मौसम होता है -२
जो चाहा था दुनियाण मेइन कम होता है
सच ये है बेकार हमे गम होता है
जो चाहा था दुनिया मै कम होता है
सच ये है बेकार हमे गम होता है
ढल्ता सुरज फैला जंगल रस्ता गुम -२
हमसे पूछो कैसा आलम होता है -२
गैरों को कब फ़ुर्सत है दुख देने की
जब होता है कोइ हमदम होता है
सच ये है बेकार हमें गम होता है
ज़ख्म तो हमने इन आँखों से देखे हैं -२
लोगों से सुनते हैं मरहम होता है -२
ज़हन कि शाख्होण पर अश_आर आ जाते हैन -२
जब तेरि यादोण का मौसम होता है -२
जो चाहा था दुनियाण मेइन कम होता है
सच ये है बेकार हमे गम होता है
2 Comments:
G8 ! This really good and following is best :)
गैरों को कब फ़ुर्सत है दुख देने की
जब होता है कोइ हमदम होता है
सच ये है बेकार हमें गम होता है
kya likhun , kya jane dun.
Sach to ye hai ki milne ka man hota,
par sochta hun...
Milne se kya hota hai..
For you..
phir usi raah-guzar par shaayad (Ahmed Faraz)
phir usi raah-guzar par shaayad
ham kabhi mil saken, magar, shaayad
jaan pehchaan se kya hoga
phir bhi ai dost ghor kar, shaayad
muntazir jin ke ham rahe, tum ho
mil gaye aur ham-safar shaayad
jo bhi bichhre hain kab mile hain 'Faraz'
phir bhi tu intazaar kar, shaayad
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